*मुक्ति का मार्ग: डॉ० बी.आर. अंबेडकर*
तुम्हारी मुक्ति का मार्ग धर्मशास्त्र व मंदिर नहीं है, बल्कि तुम्हारा उद्धार उच्च शिक्षा, व्यवसाय बनाने वाले रोजगार तथा उच्च आचरण व नैतिकता में निहित है। तीर्थयात्रा व्रत पूजापाठ व कर्मकांडों में कीमती समय बर्बाद मत करो। धर्मग्रंथों का अखण्ड पाठ करने, यज्ञों में आहुति देने व मंदिरों में माथा टेकने से तुम्हारी दासता दूर नहीं होगी। तुम्हारे गले में पड़ी तुलसी की माला गरीबी से मुक्ति नहीं दिलाएगी। काल्पनिक देवी - देवताओं की मूर्तियों के आगे नाक रगड़ने से तुम्हारी दरिद्रता व गुलामी दूर नहीं होगी। अपने पुरखों की तरह तुम भी चीथड़े मत लपेटो, दड़बे जैसे घरों में मत रहो और इलाज के अभाव में तड़प तड़प कर जान मत गवाओं। भाग्य और ईश्वर के भरोसे मत रहो, तुम्हें अपना उद्धार खुद करना है । धर्म मनुष्य के लिए है, मनुष्य धर्म के लिए नहीं है। जो धर्म तुम्हें इंसान नहीं समझता वह धर्म नहीं अधर्म का बोझ है। जहां ऊंच नीच की व्यवस्था है, वह धर्म नहीं गुलाम बनाने की साज़िश है।
ब्राह्मण ना तो भूतों से डरता है,
ना ही डरता है मरी शमशान से,
वो ना डरता है किसी भगवान से
वो डरता है शूद्रों को हक अधिकार देने से।
* वो डरता है शूद्रो को बराबरी का दर्जा देने से।
* वो डरता है एससी, एस टी, ओबीसी से जो शूद्र हैं,
* वो कहीं उनसे आगे ना निकल जायें।
* वो डरता है उनके फैलाये हुये अंधश्रद्धा से
* कहीं एससी, एस टी, ओबीसी बाहर ना निकल जाये।
* वो डरता है सबकी समानता से,
* वो सोचता है, अगर कोई नीच ही नही रहेगा तो वो ऊँचा कैसे रहेगा।
* वो डरता है, एससी, एस टी , ओबीसी से क्योंकि अगर
* जाति आधार पर आरक्षण दिया जायेगा।
तो शूद्र अपनी तरक्की कर लेगा।
* और उसकी चंगुल से बाहर निकल जायेगा।
* खुद जागेगा और औरों को भी जगायेगा।
* वो ऐसी हर उस बातों से डरता है।
* कहीं एससी, एस टी, ओबीसी एक हो गया तो फिर इस देश का नियंत्रण obc के हाथ में आ जायेगा और obc न्यायपूर्ण समानता से संपूर्ण देश
को चलायेगा और उनका काला चिठ्ठा बाहर निकालेगा।
और उनको दंडित भी करेगा।
* इस लिये हर हाल में वह एससी, एस टी, ओबीसी को कभी एक होने नही देगा।
* वह हर हाल में अपना प्रभुत्व नही छोड़ेगा उसके लिए चाहे कितने ही लोग मरे।
* चाहे देश हजारों साल पीछे चला जाये।
* उसे अपने स्वामित्व तथा प्रभुत्व से मतलब है।
* उसे अपनी और अपने समुदाय की छोड़
देश में किसी की कोई परवाह नहीं है।
* देश की जनता को गंभीरता से सोचना पड़ेगा।
* वह कैसे हालात वाला देश चाहता है।
* सत्ता तख्ता पलट होना चाहिए।
* अपनी सत्ता के अस्तित्व में रहने के लिए इन्होंने क्या क्या षडयंत्र किये हैं यह सब जनता को पता है।
* इसके बावजूद भी जनता क्या सोचती है।
* वह तो जनता जनार्दन पर ही निर्भर है।
वो डरता है तो सिर्फ,. .. .
* डा० बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर और उनके संविधान से....
अंधविश्वास, ढोंग,पाखण्ड, असमानता, ढकोसला, छुआछूत बेईमानी, भगाओ सच्चे भारतीय बनों।
अब भी जातिवाद का जहर बड़ी तेज़ी से बढ़ता जा रहा है जातिवाद खत्म करो।
आज भी एक अनपढ़ पांचवीं फेल पंडित पंडित कहलाता है और दलित Engineer, doctor, professor, scientist, officer, Ph D किया हुआ भी शूद्र या दलित कहलाता है आखिर क्यों अभी तक जातिवाद फैलाया हुआ है।